Wednesday 25 September 2013

अखिलेश सरकार यूपी में नरेंद्र मोदी की रैलियों पर पाबंदी लगा सकती है

कानपुर और बहराइच प्रशासन ने सरकार से कहा है कि इन रैलियों से उनके इलाके में साम्‍प्रदायिक तनाव पैदा हो सकता है. प्रशासन को बीजेपी की मंशा पर भी संदेह है क्‍योंकि ये दोनों रैलियां मुस्लिम पर्व के दिन आयोजित की जा रही हैं. आपको बता दें कि कानपुर और बहराइच में मुसलमानों की अच्‍छी-खासी तादाद है.
एक अधिकारी के मुताबिक, '15 अक्‍टूबर को बकर-ईद हो सकती है और इसी दिन मोदी कानपुर में रैली करने वाले हैं. वहीं, 5 नवंबर को मोहर्रम है. इन तारीखों पर मोदी की रैली से माहौल खराब हो सकता है.'
उन्‍होंने कहा, 'सरकार को बीजेपी नेताओं से बात कर रैली की तारीख बदलवा देनी चाहिए. लेकिन पुराने अनुभवों से तो हमें यही लगता है कि सरकार हिंदू और मुस्लिम वोटों का ध्रूवीकरण करने के लिए रैलियों पर पाबंदी लगाकर विवाद खड़ा करने की कोशिश करेगी.'
सपा के राज्‍य प्रवक्‍ता और जेल मंत्री राजेंद्र चौधरी से जब संपर्क किया गया तो उन्‍होंने कहा, 'ऐसी राजनीतिक पार्टियां भी हैं जो राज्‍य में साम्‍प्रदायिक तनाव पैदा करने की कोशिश कर रही हैं. रैलियों के जरिए माहौल खराब करने की साजिश रच रहे लोगों को यह पता होना चाहिए कि हम यूपी में ऐसा हरगिज नहीं होने देंगे. हम ऐसी रैलियों को आयोजित करने की मंजूरी नहीं दे सकते.'
हालांकि बीजेपी ने ऐसी किसी मंशा से इनकार किया हे. बीजेपी के यूपी अध्‍यक्ष लक्ष्‍मी कांत वाजपेयी का कहना है, 'मोदी की रैलियां ऐतिहासिक होंगी. जो लोग इसे साम्‍प्रदायिक दंगों से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं उन्‍हें यह नहीं भूलन चाहिए कि चुनाव के दौरान रैलियां होना आम बात है. सपा को डर है कि 2014 के लोक सभा चुनाव में मोदी उसे उखाड़ फेकेंगे.'
उन्‍होंने कहा, 'मोदी की रैली पर अगर किसी भी तरह का बैन लगाया गया तो हम समझेंगे कि सपा ने चुनाव से पहले ही हार मान ली है.'
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